लव-जिहाद लिमिटेड: आगरा से कोलकाता तक धर्मांतरण की ‘डिलीवरी’

अजमल शाह
अजमल शाह

मार्च महीने में आगरा से लापता हुईं दो बहनों की गुत्थी जब यूपी पुलिस ने सुलझाई, तो निकला एक ऐसा रैकेट जिसमें धर्मांतरण का “फुल पैकेज” मिल रहा था — प्यार, पैसा, पासपोर्ट और प्लेटफॉर्म टिकट।
डीजीपी राजीव कृष्ण की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने तो पूरे नेटवर्क की जड़ें खोल कर रख दीं। यानी सिर्फ आगरा ही नहीं, पूरा “इंटर-स्टेट धर्मांतरण एक्सप्रेस” चल रही थी — और उसके पीछे PFI, SDPI और पाकिस्तानी संगठनों की छांव थी।

दुबई-लंदन से चल रही थी ‘फंडिंग फॉर फेथ’

डीजीपी के अनुसार इस रैकेट की बैंक पासबुक अगर बोल पाती, तो कहती: “हां! मैं कनाडा, लंदन और दुबई से फंड आई थी।”
विदेशी फंडिंग का खेल इतना बड़ा था कि STF और ATS को भी इस “वर्चुअल धर्मांतरण महायज्ञ” में कूदना पड़ा।

रैकेट का ढांचा: एकदम स्टार्टअप जैसा!

गिरफ्तार 10 लोगों की टीम स्ट्रक्चर देख के तो लगा जैसे कोई कॉरपोरेट चला रहे हों।

  • कोई ‘फंडिंग’ देख रहा था

  • कोई ‘लीगल एडवाइजरी’

  • तो कोई ‘लव-जिहाद CRM’ संभाल रहा था, मानो रैकेट नहीं, कोई नया यूनिकॉर्न स्टार्टअप हो – नाम हो सकता था “Convertify Pvt Ltd”।

छह राज्यों में ऑपरेशन: STF की ‘अग्निपथ यात्रा’

इस मामले में पुलिस ने पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, गोवा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक साथ 11 जगहों पर दबिश दी।
कोलकाता से बहनों को सकुशल लाकर आगरा पुलिस ने यह जता दिया कि अब धर्म परिवर्तन की कहानी सिर्फ फिल्मी स्क्रिप्ट तक ही सीमित नहीं रहेगी।

“लव जिहाद नहीं, यह तो लॉजिक जिहाद है!”

सामने आया कि कैसे किशोरियों को “प्यार के नाम पर” फंसाया जा रहा था, और फिर ‘कन्वर्जन’ के बड़े मिशन में शामिल किया जा रहा था।
पूरे मामले में ISIS से प्रेरित रणनीतियों का ज़िक्र कर DGP ने बताया कि ये ‘इमोशनल ब्लैकमेल’ के रास्ते “धार्मिक उलटफेर” कर रहे थे।

अब आगे क्या?

अब जब ATS, STF और आगे कई और खुलासे हो सकते हैं। विदेशी लिंक और बड़ा धमाका हो सकता है।

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